अब टुन्ना दूसरे हाथ से अपना टूटा हाथ पकड़े हुए खड़ा रहा भीगी बिल्ली की तरह। अब टुन्ना दूसरे हाथ से अपना टूटा हाथ पकड़े हुए खड़ा रहा भीगी बिल्ली की तरह।
ये लोग वाकई नासमझ है जो बुजुर्गो की बातो को ठीक तरीके से नहीं समझता। ये लोग वाकई नासमझ है जो बुजुर्गो की बातो को ठीक तरीके से नहीं समझता।
लेखक: एलेना दल्गाप्यात अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: एलेना दल्गाप्यात अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती। उस दिन अगर वो भी अपने बहते मन के नीचे सब्र की परात लगा लेती।
जीवन रूपी लौ भी निर्विघ्न तभी चल पाएगी जब तजुर्बा रूपी पिघला घी हो। जीवन रूपी लौ भी निर्विघ्न तभी चल पाएगी जब तजुर्बा रूपी पिघला घी हो।
कदाचित् खा खाकर भी मैं हमेशा भूखा रहने वाला बालक था। कदाचित् खा खाकर भी मैं हमेशा भूखा रहने वाला बालक था।